दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ जो यह https://shivchalisas.com