कोई चार साल के बाद मैं निक्की, अपने मायके दिल्ली आई थी और अपने छोटे भाई के यहाँ ठहरी थी जो बाहर काम करता था और मेरे आने का सुन कर वो मुझ से मिलने आया हुआ था। रोज़ ही किसी ना किसी के यहाँ दावत होती थी। उस रोज़ https://troylnpqq.ja-blog.com/12392573/ब-प-ब-ट-क-च-द-ई-अन-ख-च-त-ल-ड-क-अन-ख-द-न-य